लेखन एक प्रेम
जितना जाना चाहा दूर तुमसे
हर रोज उतनी पास चली आई
सोचा करती हूं यूं ही अक्सर
तुम्हें तो हर पल नया साथी मिल रहा है
पर मेरा क्या?
मुझे कौन देगा सहारा?
हर क्षण कुछ नया करने की प्रेरणा
अब लगता है कि तुम हों तो मैं हूं
और ये प्यारा सा सफर है।
हर रोज उतनी पास चली आई
सोचा करती हूं यूं ही अक्सर
तुम्हें तो हर पल नया साथी मिल रहा है
पर मेरा क्या?
मुझे कौन देगा सहारा?
हर क्षण कुछ नया करने की प्रेरणा
अब लगता है कि तुम हों तो मैं हूं
और ये प्यारा सा सफर है।