...

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कोई बोल रहा था
कमाई कितनी होगी छोड़,मेहनत का प्रयास ही कर रहा था
जो मुझे देने वाले सहयोग,उसे दूसरा कोई कान भर रहा था
मेरी हार वो चाहता हो,और अप विषैला चिट्ठा खोल रहा था
में सुनकर भी ना सुनता था,की कोई कुछ वहां बोल रहा था

मेरे कान कम,हाथ ज़्यादा,मुंह तो मौके पर ही चलता था
हर रोज बदलती तस्वीरें जहां,कोई बनता,कोई बिगड़ता था
मेरी देह नहीं हाति की,पर...