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शिक्षा और उसके स्तर पर लेख.....
किसी देश या समाज के विकास का अंदाज़ा वहाँ के नागरिकों के स्वास्थ्य और शिक्षा- स्तर से ही पता चलता है।शिक्षित होने का अभिप्राय सिर्फ शुद्ध - शुद्ध पढ़ना - लिखना और बोलना आने से ही नहीं होता है अपितु उस शिक्षा का उपयोग हम अपने दैनिक जीवन में कहाँ तक कर पाते हैं, से होता है।आधुनिक समय में शिक्षा की गुणवत्ता और उसके स्तर में काफी गिरावट आ गयी है।आज शिक्षा का उद्देश्य जीविकोपार्जन के उद्देश्य तक ही सीमित हो गया है।नैतिक, मौलिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक शिक्षा लुप्तप्राय - सा होते जा रहा है।आज लोगों के शिक्षा के स्तर का मापन उसके शैक्षिक डिग्रियों और शैक्षिक परीक्षाओं के परिणामों से किया जाने लगा है चाहे उन डिग्रियों और परिणामों के अनुरूप उनके पास ज्ञान हो अथवा न हो।जो जितना ज्यादा शैक्षिक डिग्रियाँ धारण किये हुए है वो उतना ही पढा़ - लिखा समझा जाता है और जो जितना ज्यादा अर्थ उपार्जित करता है वो अपने जीवन में उतना ही सफल और कामयाब समझा जाता है। आज ऑफलाईन शिक्षा से ज्यादा ऑनलाइन शिक्षा और रेगुलर मोड शिक्षा से ज्यादा डिस्टेंस मोड पढा़ई को वरीयता दी जाने लगा है। इस तरह की शिक्षा में शिक्षाग्राही शिक्षा को कितनी गहराई तक समझ और सीख पा रहा है, ये शिक्षादाता को सही से पता नहीं चल पाता है और शिक्षाग्राही भी ज्ञान की गहराई तक पहुँचने से वंचित रह जाता है। शिक्षा प्राप्ति और प्रदान करने के मार्ग में आयी ऐसी बहुत सारी बाधाओं से उबरने के लिए यह आवश्यक है कि शिक्षा की गुणवत्ता और उसके स्तर में आने वाली समस्त विकारों का गहराई से अवलोकन कर उसका समुचित समाधान ढूँढा जाये तभी शिक्षा के सभी उद्देश्यों को पूर्णतः प्राप्त किया जा सकता है।

— Arti Kumari Athghara (Moon)

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