अधूरी बातों को सुनने कभी तो आओ
किसी एक इन्सान के चले जाने से इतना खालीपन क्यूँ महसूस होता है," उसके अलावा" सब कुछ अपने पास होते हुए भी ऐसा क्यूँ लगता है की ..." कुछ कमी सी है...." क्यूँ कभी उसे भूलने को जी नहीं चाहता है.... हमेशा ऐसा क्यूँ लगता है कि...... मुझे उसे जाने नहीं देना था..............
बिखरे सपनो को संजोये , जगती रातें रह गयी है
कुछ धुंधली सी ही सही , मीठी यादें रह गयी है
कुछ बचा है, अब भी, अनकहा अनसुना सा
कपकपाते लबो पे कुछ बातें रह गयी.........
अधूरी बातों को सुनने कभी तो आओ
कहना था कि...
बिखरे सपनो को संजोये , जगती रातें रह गयी है
कुछ धुंधली सी ही सही , मीठी यादें रह गयी है
कुछ बचा है, अब भी, अनकहा अनसुना सा
कपकपाते लबो पे कुछ बातें रह गयी.........
अधूरी बातों को सुनने कभी तो आओ
कहना था कि...