...

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मैं अपना यौवन देता हूँ !
माँ यह जीवन बस मेरा है, लो अपना जीवन देता हूँ।
पास नहीं कुछ भी देने को, मैं अपना यौवन देता हूँ।।

खेल-कूद तेरे आँगन में, यह कद- काठी जो बड़ा हुआ।
चूम-चूम के पावन माटी, पग पर अपने जो खड़ा हुआ।।

तेरे कदमों में बिछने को, मै आज वही तन देता हूँ।
पास नहीं कुछ भी देने को, मैं अपना यौवन देता हूँ।।

हे भारत माँ मेरी प्यारी, ऊँचा तेरा भाल रहेगा।
दाग न दामन पर आएगा, जब तक तेरा लाल रहेगा।।

हो सहर्ष न्यौछावर तुझ पर, मैं अपना वो मन देता हूँ।
पास नहीं कुछ भी देने को, मैं अपना यौवन देता हूँ।।

हिन्द वतन के सैनिक जिनके, सीने में हिम्मत पलते हैं।
मोडें दरियाओं की धारा, वो लांघें पर्वत चलते हैं।।

राष्ट्र प्रेम को जगा हृदय में, लो अपना चितवन देता हूँ।
पास नहीं कुछ भी देने को, मैं अपना यौवन देता हूँ।।

©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित ०६/०७/२०२४)