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शान्ति लक्ष्य
शान्ति लक्ष्य

"गहन शान्ति की अनुभूति हो लक्ष्य हमारा"

शान्ति का गुण एक ऐसा आभूषण है जिसे पहनते ही आत्मा के चारों ओर सर्व गुणों के भंवरे स्वताः ही मंडराने लगते हैं। उनके मंडराने का नेट रिजल्ट यह होता है कि आत्मा अपने केंद्र में स्थित होकर आध्यात्मिक शक्तियों को संग्रहित करती हुई आनंदमग्न भाव विभोर अनुभव करती है तथा जीवन व्यवहार में शिष्टाचार स्वातः आ जाता है। फिर सुखद सद्व्यवहार के लिए मेहनत नहीं करनी पड़ती। जबकि अशांति का अवगुण बिल्कुल इसका उल्टा है। अशांति का अवगुण भी एक प्रकार का आभूषण ही है। इस अवगुण को पहनने से आत्मा के चारों ओर सर्व अवगुणों के भंवरे मंडारने लगते हैं। अवगुणों के मंडराने का नेट रिजल्ट यह होता है कि आत्मा अपने केंद्र से दूर होकर आध्यात्मिक शक्तियों की अनुभूतियों से दूर होती आध्यात्मिक अनुभवों से स्वयं को रिक्त अनुभव करती है तथा जीवन व्यवहार में शिष्टाचार का नामनिशान नहीं रह जाता है। फिर सुखद सद्व्यवहार की कल्पना करना असम्भव होता है। अतः शान्ति की स्थिति को कभी नहीं छोड़ना। शान्ति गई तो ऐसा समझो कि जैसे सब कुछ गया। यह सुखद, सम्पन्न, सहज जीवन की आधारभूत स्थिति है। इसे ज्ञान (समझ) की वृद्धि करते हुए और राजयोग के गहन अभ्यास से निरंतर इंच इंच बढ़ाते ही चलते चलिए। इसे ही दिव्यता से भरी हुई समझ कहते हैं। इसे ही कहते हैं - "शान्ति ही पवित्रता, समृद्धि और सुख की जन्म दात्री है।" "Peace is the mother of purity, prosperity and happiness.🙏🕊️☝️✋*