...

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तेरी मुरली...!!
तेरी मुरली की धुन भी क्या रंग लाई थी,
राधा संग गोपियां भी तेरी दीवानी थी !!

मैं वो राधा नही पर शायद मीरा बन जाऊं,
तेरे प्रेम में कान्हा खुद को वार जाऊं !!

मैं तेरी राधा सी शायद श्रृंगार न कर पाऊं,
पर तेरी मीरा सी जोगन ही बन जाऊं !!

मैं तेरी राधा की तरह तेरी वियोग न सह पाऊं,
पर शायद मीरा बन जहर ही पी जाऊं !!

मैं वो राधा नही पर शायद मीरा बन जाऊं,
तेरे प्रेम में कान्हा खुद को वार जाऊं !!

मैं तेरी गोपियों की तरह तेरी बीरह न देख पाऊं,
पर शायद तेरी मीरा सी तेरे चरणों से लगा जाऊं !!

न बन पाऊं राधा और न मीरा बन पाऊं,
पर तेरे साँवले रंग में खुद को मग्न कर जाऊं !!

मैं वो राधा नही पर शायद मीरा बन जाऊं,
तेरे प्रेम में कान्हा खुद को वार जाऊं !!
© Namrata Mahato