...

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हम से भूल हो गई
हमसे भूल हो गई हमको क्षमादान दो
ओ माता अब तो जगत कल्याण करो

ना जानू पूजा विधि..ना जानू भजन ही,
भाव श्रद्धा का लेकर हाजिर हूं दरवार में,

जग की क्या तारीफ़ करुं मां,अनुपम और निराली है।
इक इक चेहरे पर न जाने कितने नक़ाब डाली है।।

दानवों ने खूब मचाया उपद्रव भारी हैं।
आज सारी सृष्टि हाहाकार कर रही ।।

क्यों तू नहीं दानवों का संघार कर रहीं ..??
फिर आज धर्म पे अधर्म का पलरा भारी हैं।।

अब तो बिगुल बजा दे, मां चंडी रुप दिखा दें।
इन दुष्टों को धूल चटा दें,मौत की घाट उतार दें।।

चक्र त्रिशूल पंकज पुष्प और कमंडलु धारी है।
शेर पे सवार होकर माता रानी दानवों पे भारी हैं।।
किरण

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