...

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सफर
मेरे सफर की मंजिल थी तुम
हम तो चले जा रहे थे
एक अनजान एक दिशाहीन
सफर पे जिसका कोई अंत ना था
सफर मैं कभी सीधा जाता
कभी दूसरों के पीछे जाता
कभी अनजान रास्ते ही निकल जाता
सफर के किसी मोड़ पर रुक जाता
किसी मंजिल के ख्याब मैं
किसी राह मैं ...