ग़ज़ल
रोक दो कोई तो ख़यालों को
नींद आती नहीं है रातों को
जाँ निकलती है इन अदाओं पर
यूँ सँवारा करो न बालों को
पास दिल-वालों के हूँ मैं हर-दम
दूर रखता हूँ होशियारों को
जिन इरादों से लग रहा हो डर
आज़माओ...
नींद आती नहीं है रातों को
जाँ निकलती है इन अदाओं पर
यूँ सँवारा करो न बालों को
पास दिल-वालों के हूँ मैं हर-दम
दूर रखता हूँ होशियारों को
जिन इरादों से लग रहा हो डर
आज़माओ...