दिवाना "
इश्क़ मे आशिक को,बस सनम नज़र आता हैँ।
लाख हो कोई प्यारा कितना ही,कहा नज़रो को भाता हैँ।
भूल जाता हैँ जमाना सारा, उसी के गुण गाता हैँ।
जलक को उसकी एक, हज़ारो बहाने बनाता हैँ।
दुनिया हो जाती हैँ छोटी सारी, उसको सबसे ऊपर बड़ा बताता हैँ।
कर देता हैँ हर हद...
लाख हो कोई प्यारा कितना ही,कहा नज़रो को भाता हैँ।
भूल जाता हैँ जमाना सारा, उसी के गुण गाता हैँ।
जलक को उसकी एक, हज़ारो बहाने बनाता हैँ।
दुनिया हो जाती हैँ छोटी सारी, उसको सबसे ऊपर बड़ा बताता हैँ।
कर देता हैँ हर हद...