...

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"कौन था वो कहाँ गया?"😶
अक्स को मेरे मज़ाक समझे मेरी ज़िन्दगी को एक शोर
कोइ मगर वाकिफ़ कहा ये दास्ता है कुछ और
हर दर्द को दिल मे छुपा लेता हूँ
कोइ गर पूछे तो इतना बता देता हू
ज़िन्दगी बेह गयी उधर और हम यहा इस पार है
खुशियो का तो पता नहीं साहब गम बडे बेकरार है
खो गये वो पल जो मेरे फिर मुझे कहा मिले
उन मचलती नीव पर बस उम्मीदो के मकान गिरे देखके मुझको मगर जी भर के आन्खे रोती है
कहती है के ज़िन्दगी कुछ ऐसी ही तो होती है
टूटी गुल्लक सपनो की अब क्यु तुझे वो मका मिले
सुन ज़मीनो के सफ़र अब क्यो तुझे आस्मा मिले
रन्जिशे थी रात मेरी रात अब तो बह गयी
तेरी ही चन्द ठोकरे तेरी कहानी...