गुनाहों का डर
बेशर्म है यह क्यों कर नहीं आती?
आती थी रात भर अब नहीं आती
मौत का दिन इक मुतायन है यार।
अब नींद रात भर क्यों नहीं आती।
बहुत प्यारी है बहुत चाहा इसको।
एक खौफ देखकर इधर नहीं आती।
गुनाहों की गठरी दिखी सर पर रखे।
यही वो बात है की ये घर नहीं आते।
© abdul qadir
आती थी रात भर अब नहीं आती
मौत का दिन इक मुतायन है यार।
अब नींद रात भर क्यों नहीं आती।
बहुत प्यारी है बहुत चाहा इसको।
एक खौफ देखकर इधर नहीं आती।
गुनाहों की गठरी दिखी सर पर रखे।
यही वो बात है की ये घर नहीं आते।
© abdul qadir