जय जगन्नाथ
जय जय जय जय जगन्नाथ,
रखे भक्तों के सर पे हाथ,
बैठे बहन सुभद्रा और
बलराम दादा के साथ।
नीम पेड़ से बनी है मूरत,
मनमोहक लगती है सूरत,
जल्दबाजी में रह गई अधूरी,
छवि फिर भी लगती है नूरी।
पुरी में भाई बहन के संग,
करते अपनी लीला, अपने ही ढंग,
है जगत के स्वामी, रखते भक्तों...
रखे भक्तों के सर पे हाथ,
बैठे बहन सुभद्रा और
बलराम दादा के साथ।
नीम पेड़ से बनी है मूरत,
मनमोहक लगती है सूरत,
जल्दबाजी में रह गई अधूरी,
छवि फिर भी लगती है नूरी।
पुरी में भाई बहन के संग,
करते अपनी लीला, अपने ही ढंग,
है जगत के स्वामी, रखते भक्तों...