...

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अफ़साने
खुशबू जैसे लोग मिलें अफ़साने में ,
एक पुराना खत खोला अनजाने में ,
न जाने किसका जि़क्र हैं अफ़साने में ,
दरद मजे लेता है जो दुरहाने में ,
शाम के साए बालिसतो में नापे हैं ,
चांद ने कितनी देर लगा दी आने में। ,
रात को गुजरते शायद थोड़ा वक्त लगे ,
जरा सी धूप दे उन्हें मेरे पैमाने में ,
दिल पर दस्तक देने से कौन आया है ,
किसकी आहट सुनी है वीराने में।
अमन