घड़ी के उस लम्हे के बाद हम नहीं होंगे
खुली होगी आंखे हमारी लेकिन गम नहीं होंगे
यारो घड़ी के उस लम्हे के बाद हम नहीं होंगे
दुनियां कि भीड़ में जिक्र होगा लेकिन सन्नाटे में
लगेगी महफिल लेकिन उसमें हम नहीं होंगे..।
सच में कहानी बस उस लम्हे की हैं
खुशी बस इन्सान जन्में की हैं
जिंदा मिटना इतना आसान नहीं
कदर मालिक के कलमे की हैं
© Manoj Vinod-SuthaR
यारो घड़ी के उस लम्हे के बाद हम नहीं होंगे
दुनियां कि भीड़ में जिक्र होगा लेकिन सन्नाटे में
लगेगी महफिल लेकिन उसमें हम नहीं होंगे..।
सच में कहानी बस उस लम्हे की हैं
खुशी बस इन्सान जन्में की हैं
जिंदा मिटना इतना आसान नहीं
कदर मालिक के कलमे की हैं
© Manoj Vinod-SuthaR