10 views
" तिरस्कार "
" तिरस्कार "
क्या तिरस्कार ही अलंकार है..?
स्त्रियों के हिस्से में..!
जन्म से मरण तक हर रिश्तों में
धिक्कार पाना ही उसका
सौभाग्य है..!
हर रिश्ते को भला कहाँ से मिला
ये अधिकार है..?
जिसने चाहा उसी ने स्त्रियों को
पाँव की जूती बना दिया..!
क्यूँ जी रही है तू ऐ स्त्री अपने
हिस्से इतना तिरस्कार सह कर..?
ये दुनिया कभी भी तुम्हें पुरस्कार
देने नहीं आएगी..!
तुम्हारे त्याग को कोई समझ नहीं
पाऐगा..!
🥀 teres@lways 🥀
क्या तिरस्कार ही अलंकार है..?
स्त्रियों के हिस्से में..!
जन्म से मरण तक हर रिश्तों में
धिक्कार पाना ही उसका
सौभाग्य है..!
हर रिश्ते को भला कहाँ से मिला
ये अधिकार है..?
जिसने चाहा उसी ने स्त्रियों को
पाँव की जूती बना दिया..!
क्यूँ जी रही है तू ऐ स्त्री अपने
हिस्से इतना तिरस्कार सह कर..?
ये दुनिया कभी भी तुम्हें पुरस्कार
देने नहीं आएगी..!
तुम्हारे त्याग को कोई समझ नहीं
पाऐगा..!
🥀 teres@lways 🥀
Related Stories
39 Likes
19
Comments
39 Likes
19
Comments