बेकसूर लोगों की हत्या
जहाँ खून की नदियाँ बही
कुएँ में लाशें पड़ी मिली
उस अमृतसर हत्याकांड के
शहीद हुए उन वीरों को
मेरा बार-बार सलाम है ।
बेकसूर थे वो मासूम लोग
जो पानी के लिए तड़प-तड़प कर
मौत के मुँह में चले गए
सहायक उनको मिला न कोई
बस यूँ ही लहू बहाते गए।
लाखों लाशों के ढेर से
अपने भाई बंधु को पाकर
जो फूट-फूटकर रोए थे
उनकी व्यथा को देखकर
भारत माँ के भी आँसू थिरके थे।
इतनी लाशों को देखकर
जनरल डायर के चेहरे पर
एक विचित्र मुसकान छाई थी,
इंसान नही था जनरल डायर
हिंसक घातक का वो रूप था।
13 April 1919
कुएँ में लाशें पड़ी मिली
उस अमृतसर हत्याकांड के
शहीद हुए उन वीरों को
मेरा बार-बार सलाम है ।
बेकसूर थे वो मासूम लोग
जो पानी के लिए तड़प-तड़प कर
मौत के मुँह में चले गए
सहायक उनको मिला न कोई
बस यूँ ही लहू बहाते गए।
लाखों लाशों के ढेर से
अपने भाई बंधु को पाकर
जो फूट-फूटकर रोए थे
उनकी व्यथा को देखकर
भारत माँ के भी आँसू थिरके थे।
इतनी लाशों को देखकर
जनरल डायर के चेहरे पर
एक विचित्र मुसकान छाई थी,
इंसान नही था जनरल डायर
हिंसक घातक का वो रूप था।
13 April 1919