...

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ग़ज़ल
चाँद से आफ़ताब हो रहे हो
और भी लाजवाब हो रहे हो

चढ़ रहे हो दिल-ओ-दिमाग़ में तुम
धीरे-धीरे शराब हो रहे हो

छोड़ दो लत बुरी नशे की अब
मौत को दस्तियाब हो रहे हो

मौत इक रोज़ आनी...