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इक अनजानी राह पे मिले थे दो अनजान...
उस दिन मुस्कुराया था ये पूरा आसमान...
बादलों ने गिराए थे वो छोटी कोमल बूंदे..
बगल के सारे पेड़ खड़े थे अपनी आंखे मूंदे।
वो लम्हे भी क्या लम्हे थे,
पहली बार...
उस दिन मुस्कुराया था ये पूरा आसमान...
बादलों ने गिराए थे वो छोटी कोमल बूंदे..
बगल के सारे पेड़ खड़े थे अपनी आंखे मूंदे।
वो लम्हे भी क्या लम्हे थे,
पहली बार...