एक कश्ती...❤️❤️✍️✍️
मैं कागज की कश्ती हूं
मगर हौसला तो रखती हूं
खुश होकर लहरों में भी
बेझिझक मैं चलती हूं
झेलती हूं मैं थपेड़े
मगर डगमगाती नहीं
इन तूफानों के वेगों से
मैं हार जाती नहीं
चलते चलते कहीं मैं
दूर निकल जाऊंगी
साहस मेरा बाकी है
मैं संभल जाऊंगी
पहुंच ही जाऊंगी
कभी मैं किनारे...
मगर हौसला तो रखती हूं
खुश होकर लहरों में भी
बेझिझक मैं चलती हूं
झेलती हूं मैं थपेड़े
मगर डगमगाती नहीं
इन तूफानों के वेगों से
मैं हार जाती नहीं
चलते चलते कहीं मैं
दूर निकल जाऊंगी
साहस मेरा बाकी है
मैं संभल जाऊंगी
पहुंच ही जाऊंगी
कभी मैं किनारे...