...

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मरना ज़रूरी है , डरना नहीं
मौत !! जाने तू रहस्य है या रास्ता ?

ज़िन्दगी के हर मोड़ पे तू टकराती ,
खुशियां- गम छोड़,तू सांसे गिनवाती ।।

बहाना हादसा , शहादत या मर्ज हो ,
मानो सबको चुकाना एक ही कर्ज हो ।।

हर लम्हा गुजारे , अगले लम्हे की तैयारी में,
हम बेखबर, तू बैठा अपनी ही तैयारी में ।।

सुना है तेरे रस्म में कोई रियायत नहीं ,
कयामत तक जियू ,अपनी भी चाहत नहीं ।
पहर दो पहर ,साल दर साल ,
हर लम्हे में घुले ज़िन्दगी जैसे रंग गुलाल ।।

अब ना होली दीवाली का इंतजार करेंगे ,
हर लम्हे से इश्क़ , हर रोज़ त्योहार करेंगे ।।

जब तक ज़िंदा हूं मैं , तू मुझसे जुदा है ,
जब मैं ही नहीं, फिर क्या खौफ, कौन खुदा है ?

© mukesh_syahi