...

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तुम्हारे बगैर
आसान नही था तुम्हारे बगैर,
मेरा ये तन्हा सफर ,
बस तेरी यादों का एक झोका,
हाथ थामे चलता रहा,
जब भी थके है मेरे कदम,
रुक से गए किसी मोड़ पे,
तो तेरी एक आवाज ने ,
मेरा हौसला बढ़ाया है,
गर कभी रोई है आंखे मेरी,
दर्द से तो तुम्हारी मुस्कान ने,
आंसू पोछे है
उन मुश्किलों के दौर में
जब कोई नही था
तब तुम्हारे साए ने नया ,
रास्ता दिखाया है ,
फिर अब कैसे कह दूं?
की तुम मेरे साथ नही l






© verma anita