...

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गद्यांश : पिता
अक्सर हम माँ की बातों को अनसुना किया करते थे।
लेकिन जब माँ कहती थी कि पापा घर पे हैं , फिर हम सारे काम कर दिया करते थे।।

यहाँ किसी संविधान कि आवश्यकता नहीं थी; गलतियों पे दंड था; स्वीकार करने पे माफी थी।
हमारे अनुशासन के लिए पापा आपकी उपस्थिति ही काफी थी।।

एक बार हमने माँ से कहा कि माँ पापा बहुत सख्त हैं।
हम जब भी उन्हें देखते हैं तो देखकर डर जाते हैं।
हम उनसे अपनी सारी बातें खुल कर नहीं कर पाते हैं।।
इसपर माँ ने कहा कि बेटा जिसमें हम सब सुरक्षित हैं;पापा वो अभेद्य गढ़ हैं।
हम सब पेड़ के जैसे हैं; तुम्हारे पापा उस पेड़ कि जड़ हैं।।

और एक आँधी आ...