बचपन की यादें
#स्मृति_कविता
जब भी याद आता है, बचपन का वो सवेरा,
नटखट सी मुस्कान, आंखों में उजियारा।
नंगे पाँव दौड़ना, बागों में खेलना,
तितलियों के पीछे भागना, खुशबू का मेलना।
आम के पेड़ पर चढ़कर, आम को तोड़ना,
मिट्टी के घरोंदों में, सपनों को जोड़ना।
साइकिल की पहली सवारी, वो हिचकियाँ भरना,
माँ...
जब भी याद आता है, बचपन का वो सवेरा,
नटखट सी मुस्कान, आंखों में उजियारा।
नंगे पाँव दौड़ना, बागों में खेलना,
तितलियों के पीछे भागना, खुशबू का मेलना।
आम के पेड़ पर चढ़कर, आम को तोड़ना,
मिट्टी के घरोंदों में, सपनों को जोड़ना।
साइकिल की पहली सवारी, वो हिचकियाँ भरना,
माँ...