दिल की पुकार
मिले थे वो राह में,
दिखाकर अपनी इक अदा,
अनजान गलियों में,
न जाने वो कहां खो गये।
कहता है अब जमाना,
क्यों तुमने उन्हें न था पहचाना,
और क्योंकर न किया,
उसे ढूंढने का प्रयत्न,
कैसे बतलाता,
व्यर्थ हुए,
मेरे ढ़ूंढ़ने के हर यत्न,
क्योंकि हमें नहीं था मालूम,
कहां है...
दिखाकर अपनी इक अदा,
अनजान गलियों में,
न जाने वो कहां खो गये।
कहता है अब जमाना,
क्यों तुमने उन्हें न था पहचाना,
और क्योंकर न किया,
उसे ढूंढने का प्रयत्न,
कैसे बतलाता,
व्यर्थ हुए,
मेरे ढ़ूंढ़ने के हर यत्न,
क्योंकि हमें नहीं था मालूम,
कहां है...