तलब से हारा
कितनी ही बार
फैसला लिया,
कसम भी खाई कि
अब चाहें दिल
माने या ना माने,
इस दिमाग की
ही सुुनुंगा ....
और
पूरी तरह से
आज ही
सिगरेट छोड़ दूंगा.
कई बार तो लगा भी
कि,संकल्प मेरा
कामयाब हो रहा है
किसी विकल्प की
अब,आवश्यकता
ही कहाँ है....
पर ,
फिर वही निकला
सिफर नतीजा..
जब इक दोस्त ने
मेरे ही सामने
जलाकर,सिगरेट का
एक लम्बा...
फैसला लिया,
कसम भी खाई कि
अब चाहें दिल
माने या ना माने,
इस दिमाग की
ही सुुनुंगा ....
और
पूरी तरह से
आज ही
सिगरेट छोड़ दूंगा.
कई बार तो लगा भी
कि,संकल्प मेरा
कामयाब हो रहा है
किसी विकल्प की
अब,आवश्यकता
ही कहाँ है....
पर ,
फिर वही निकला
सिफर नतीजा..
जब इक दोस्त ने
मेरे ही सामने
जलाकर,सिगरेट का
एक लम्बा...