रात और अंधेरा
मुझे याद है रात वो बचपन की
जब लाईट जाती थी अंधेरे के
डर से बिन नींद भी मै सो जाती
थी । चादर को ऐसे ओढ़ती की
इतनी सी भी सांस कही नही
रह जाती थी ............
उस वक्त अंधेरे से मै बहुत डरती थी
पर सोचा ना था ।...
जब लाईट जाती थी अंधेरे के
डर से बिन नींद भी मै सो जाती
थी । चादर को ऐसे ओढ़ती की
इतनी सी भी सांस कही नही
रह जाती थी ............
उस वक्त अंधेरे से मै बहुत डरती थी
पर सोचा ना था ।...