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जिंदगी सबकी समान नहीं होती
पूरी सुखों से भरी या पूरी दुखों से भरी नहीं होती
सुख-दुख दोनों के साथ-सरगम का रस है होती
पर जब एक सुख ऐसा हो के हर दुख उसके समक्ष छोटा प्रतीत हो
वो सुख सर्वोपरि हो हर दुख को सहने की शक्ति उसमें समाहित हो
तो उन छोटे -छोटे दुखों की ओर नहीं उस सर्वोपरि सुख की ओर ध्यान केंद्रित कीजिए
जिंदगी अपने आप सकारात्मकता की ओर केंद्रित हो जाएगी
कुछ जब यह कविता पढकर सोचेंगे और खोजेंगे उस सर्वोपरि सुख को तो पाएंगे के नहीं है ऐसा कोई सर्वोपरि सुख उनके जीवन का हिस्सा पर सच्चाई यह है के अनेकों दुख रूपी बादल उनके जीवन में छाए हुए हैं जिन्होंने उस सर्वोपरि सुख रूपी सूरज को ढांक लिया है पर बादल सदैव छाए नहीं रहते सुरज अवश्य उदय होता है और जो आप स्वयं कोशिश करेंगे स्वयं को और स्वयं के जीवन के उस सर्वोपरि सुख को खोजने की तो इन बादलों के पार भी देख पाएंगे और खुश हो पाएंगे, जीवन के हर दुःख से लड और जीत पाएंगे जब अपनी ताकत और हथियार उस सर्वोपरि सुख को बनाएंगे।

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