भटक जाते हैं...
प्रेम के कच्चे-धागे एक पल में चटक जाते हैं !!
दौलत के लिए लोग,सच्चे राह भटक जाते हैं !! १ !!
मुझको भाता है बहुत देखना उस वक्त उन्हें
जब वो मेरे सामने जुल्फों को , झटक जाते हैं !! २ !!
वैसे सब कहते हैं, बेटी होती है रूप दुर्गा का,
फिर बच्ची को ही सड़कों पे , पटक जाते हैं !! ३ !!
अपने रिश्तों की यहाँ, जरा कद्र किया करो,
नहीं मिलते हैं वो, अपने जो छिटक जाते हैं !! ४ !!
हमसे बचके वो नक़ाब चढ़ाते है चेहरे पे मगर हम
उनकी झील-नुमा आँखों में ही भटक जाते है !!५ !!
सज के जब सोलह श्रृंगार में वो आयेअप्सरा लगती है
तप के कुन्दन जब उनके गले में लटक जाते है !! ६ !!
#कुन्दन_प्रीत
#कुंदन_ग़ज़ल
#कुंदन_कविता
#kundan_preet
#kundan_gazal
#kundan_kavita
#WritcoQuote
#Writing
© कुन्दन प्रीत
दौलत के लिए लोग,सच्चे राह भटक जाते हैं !! १ !!
मुझको भाता है बहुत देखना उस वक्त उन्हें
जब वो मेरे सामने जुल्फों को , झटक जाते हैं !! २ !!
वैसे सब कहते हैं, बेटी होती है रूप दुर्गा का,
फिर बच्ची को ही सड़कों पे , पटक जाते हैं !! ३ !!
अपने रिश्तों की यहाँ, जरा कद्र किया करो,
नहीं मिलते हैं वो, अपने जो छिटक जाते हैं !! ४ !!
हमसे बचके वो नक़ाब चढ़ाते है चेहरे पे मगर हम
उनकी झील-नुमा आँखों में ही भटक जाते है !!५ !!
सज के जब सोलह श्रृंगार में वो आयेअप्सरा लगती है
तप के कुन्दन जब उनके गले में लटक जाते है !! ६ !!
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