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परिवर्तन
पल पल से कल आगया है, थोड़े थोड़े से एक बहुत हुआ है
कोई चाह नही हो वो,तो किसी को "वो" होने का प्रतिक्षा है
समय का ही नाम वो दूसरा, जो उसका ही सफरसाथी है
बिना इसके दुनिया अस्तित्वहिं, जैसे दिये के तेल,बत्ती है

सोचे इतना कोई नही, होना इनका अति आवश्यक है
जिसपर अपमत जीवन सवार, उन्हें इससे बड़ी नफ़रत है
हर पल,हर कोई,बदलाव का आहार है,चाहे तुमहो,वो या में
कोई रोक नही सकता जन में, इसके होने से ही हमसब है

कोई आबसहिं अगले चल से, कोई बदलाव बैठे जौह रहा है
कोई परिणाम जानकर इसका,अच्छा श्रमिक बन बोह रहा है
हमतुम, जो आज है,कल जानेवाले,वो भी बदलाव कारण है
यदि आज है काले दिन,कल आनेवाले रोशनी भरे उधारण है

यही 'था' इतिहास का कारण भी,यही 'है' कल का साधन भी
कहने को,यह आमबात,फल लोग, कुछ जाने,कुछ अंजान है
जब यही है होनेवाला वक्त के साथ,तो कुछ भी हो तैयार रहो
अभी जीवन में बाकी कई बदलाव,अजीत सोचो,होशयार रहो

बोलेपंक्तियां©