सर्दियों की वो मोहब्बत
जब मोहब्बत लफ़्ज़ों की मोहताज नहीं रहती,
कोई तमन्ना, कोई उम्मीद फिर दिल में खा़स नहीं रहती।
खामोशियां ही कह दिया करती हैं, खामोशियां सुन भी लिया करती हैं,
जो बातें दिल में रह जाती हैं,
लबों का साथ नहीं देती।
ओढ़ कर चादर कोहरे की,...
कोई तमन्ना, कोई उम्मीद फिर दिल में खा़स नहीं रहती।
खामोशियां ही कह दिया करती हैं, खामोशियां सुन भी लिया करती हैं,
जो बातें दिल में रह जाती हैं,
लबों का साथ नहीं देती।
ओढ़ कर चादर कोहरे की,...