कभी- कभी मैं जिंदगी से इतना हार जाती हूँ ना..
कभी -कभी ना मैं इतना थक जाती हूँ जिंदगी से मन करता हैं कहीं चली जाऊ जहाँ कोई ना हो..।।
और कभी-कभी इतना थक जाती हूँ ना इसलिए नहीं ,कि मेरे हिस्से में Sangharsh आता हैं इसलिए कि हर बार मुझे हि समझौता करना होता हैं।
हर बार मुझे हि आपने आप को मनाना पड़ता हैं कभी -कभी तो सोचती हूँ कि..
अगर कोई इंसान अपना दुख किसी ...
और कभी-कभी इतना थक जाती हूँ ना इसलिए नहीं ,कि मेरे हिस्से में Sangharsh आता हैं इसलिए कि हर बार मुझे हि समझौता करना होता हैं।
हर बार मुझे हि आपने आप को मनाना पड़ता हैं कभी -कभी तो सोचती हूँ कि..
अगर कोई इंसान अपना दुख किसी ...