...

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यह ढलती शाम
यह ढलती शाम कई किस्से दिखलाती है
दिखाती है मुस्कान किसी के चेहरों की,
तो किसी की उदासी को बताती है,
यह ढलती शाम कई किस्से दिखलाती है।
कही दिखाती है किसी को बिखरे सपने बीनते,
तो किसी का सपना हकीकत दिखाती है,
यह ढलती शाम कई किस्से दिखलाती है।
कही दिखाती है खिलखिलाहट चेहरों पर,
तो कही चुप्पी होटों की, सीने का सैलाब भी बताती है,
यह ढलती शाम कई किस्से दिखलाती है।
कही दिखाती है सुकून के कुछ पल,
तो कही सूनेपन की वो कहानियां बताती है,
यह ढलती शाम कई किस्से दिखलाती है।
कही दिखाती है रोशनी उम्मीद की,
तो कही उन उम्मीदों को टूटता भी पाती है,
यह ढलती शाम कई किस्से दिखलाती है।
किसी को ले जाती सपनो के घरों में,
किसी को सपनो में ही घर दिखाती है,
यह ढलती शाम कई किस्से दिखलाती है।
यह ढलती शाम कई किस्से दिखलाती है।।
© t@nnu