...

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मुश्ताक-ए-खाक ❤️

वो जिस्म के छूने को मोहब्बत कहते हैं
और हम रुह में उतरने को मोहब्बत कहते हैं
वो दिलबर को बाहों में भरने को राहत कहते हैं
और हम तो उनके दिदार को ही राहत कहते हैं
बेचैनियां तो जिस्म के मिलते ही खत्म...