...

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मुश्ताक-ए-खाक ❤️

वो जिस्म के छूने को मोहब्बत कहते हैं
और हम रुह में उतरने को मोहब्बत कहते हैं
वो दिलबर को बाहों में भरने को राहत कहते हैं
और हम तो उनके दिदार को ही राहत कहते हैं
बेचैनियां तो जिस्म के मिलते ही खत्म हो जाएगी
तस्वीर में भी जो सुकून दे हम उसको चाहत कहते हैं
अब तो इबादत के लिए खुदा भी नहीं चाहिए
उनकी यादों में खोए रहने को हम इबादत कहते है।
चलते हुए राह में वो गर ग़लती से भी देख लें तो
हम अपनी जिंदगी में उसको ही इनायत कहते हैं।
हम अपनी जिंदगी में उसको ही इनायत कहते हैं।
😌😌😌❣️❣️P❣️🙏🙏🙏
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