...

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ख्वाब नहीं
ख्वाब नहीं
वर्तमान है
फलक पर रहती
मेरी चांद है

हंसती बोलती
बड़ी अरमान है
गजलों जैसी
उसकी सुर-तान है

सुंदर सुरचना
अनोखी अनजान है
दिल की धड़कन
अघर की जान है

छाती रहती
मस्त मगन परियान है
सुभ मंगल ...