गीत मुझ पर भी लिख दो ना।
मेरी फरमाइश पर एक गीत,
मुझ पर भी लिख दो ना,
ज़ुल्फो में मेरी ,
रंग सुनहरा भर दो ना,
और कर दो मेरी आंखों को
किसी झील सा गहरा तुम,
अजनबी सी रहती हूं तुमसे मैं,
मेरा दर्जा अपनी प्रेयसी का कर दो ना।
छिपा कर लिखते थे जो तुम नाम मेरा,
वही लुक्का-छिपी
एक बार और कर दो ना।
तुम्हारे हर गीत में...
मुझ पर भी लिख दो ना,
ज़ुल्फो में मेरी ,
रंग सुनहरा भर दो ना,
और कर दो मेरी आंखों को
किसी झील सा गहरा तुम,
अजनबी सी रहती हूं तुमसे मैं,
मेरा दर्जा अपनी प्रेयसी का कर दो ना।
छिपा कर लिखते थे जो तुम नाम मेरा,
वही लुक्का-छिपी
एक बार और कर दो ना।
तुम्हारे हर गीत में...