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अगर हिंदी में होता।
#YearEndEchoes
किसी पुरस्कार की चाह नहीं
बस अपने मन कि लिखना है
इस वर्ष वर्षांत कैसा रहा
मेरे मन की, रचना का
खट्टी मीठी यादों सी
जीवन की परछाई लिए
कितनी दुविधा दुख, दर्द, क्लेश
प्रेम -प्रणय ,सच्चाई लिए
मोती मानिक सा शब्द, चुन चुन
हृदय की बातें धरना है
इस वर्ष वर्षांत कैसा रहा
मेरे मन की, रचना का
जीवन के कई ताने बाने
अपनों के रूठने मनाने
समाज की सच्चाइयां लिए
छोटी मोटी कहानी
देश विदेश की झांकियां
क्या कुछ अब तक विचारना है
कैसी रही ,अनुभूति इस वर्ष
नज़रों से, नजरिए का
बात आप तक रखना है
इस वर्ष वर्षांत कैसा रहा
मेरे मन की, रचना का
प्रकृति के गहरे पन्नें
सामाजिक राजनीतिक
भौगोलिक, साहित्यिक
समझ युक्त मेरा सच ,कहना है
इस वर्ष वर्षांत कैसा रहा
मेरे मन की, रचना का
© Gitanjali Kumari
किसी पुरस्कार की चाह नहीं
बस अपने मन कि लिखना है
इस वर्ष वर्षांत कैसा रहा
मेरे मन की, रचना का
खट्टी मीठी यादों सी
जीवन की परछाई लिए
कितनी दुविधा दुख, दर्द, क्लेश
प्रेम -प्रणय ,सच्चाई लिए
मोती मानिक सा शब्द, चुन चुन
हृदय की बातें धरना है
इस वर्ष वर्षांत कैसा रहा
मेरे मन की, रचना का
जीवन के कई ताने बाने
अपनों के रूठने मनाने
समाज की सच्चाइयां लिए
छोटी मोटी कहानी
देश विदेश की झांकियां
क्या कुछ अब तक विचारना है
कैसी रही ,अनुभूति इस वर्ष
नज़रों से, नजरिए का
बात आप तक रखना है
इस वर्ष वर्षांत कैसा रहा
मेरे मन की, रचना का
प्रकृति के गहरे पन्नें
सामाजिक राजनीतिक
भौगोलिक, साहित्यिक
समझ युक्त मेरा सच ,कहना है
इस वर्ष वर्षांत कैसा रहा
मेरे मन की, रचना का
© Gitanjali Kumari
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