हां मैं एक औरत हूं
(हां मैं एक औरत हूं)
किसको कहूं अपने दिल की बात,
समझ नहीं पाती हूं,और कुछ तो
कर नहीं पाती हूं खुद को रो के
समझा लेे जाती हूं।।
धर्म में लिपटी औरत,
आचरण से बंधी औरत,
संस्कृति से दबी औरत,
हां मेरी सबसे बड़ी गलती की
मैं औरत हूं,मेरे अंदर हैं कितनी
आजादियां,इन आजादियों में भी,
कैद हूं मैं हां औरत हूं मैं,
सफ़र जारी हैं मेरी जिंदगी का
आने को मुकाम बाकी हैं अभी, से
करती रही कर्म और कर्तव्य धर्म
का निर्वाह पर अभी भी काम
बहुत बाकी हैं हां औरत हूं मैं,
45 पार करने वाली हूं,तो क्या हुआ,
अभी तो कर्तव्य बाकी हैं मां का
पत्नी का बेटी का बहू का अभी
धर्म बाकी हैं,तुझे खुद के लिए
सोच ने का वक्त कहां हैं तू दूसरों
की मुस्कान में मुस्का यहीं तो
औरत के मुक्कदर में ईश्वर ने
लिखा यही औरत का धर्म हैं,
हां मैं औरत हूं,क्या किसी ने
सोचा बहन ,बेटी, मां,भाभी, सास
के बाद भी मेरा कोई आस्तित्व या
पहचान हैं खुद के जीवन हैं,नहीं क्योंकि
मैं एक औरत हूं,
किसको कहूं अपने दिल की बात,
समझ नहीं पाती हूं,और कुछ तो
कर नहीं पाती हूं खुद को रो के
समझा लेे जाती हूं।।
धर्म में लिपटी औरत,
आचरण से बंधी औरत,
संस्कृति से दबी औरत,
हां मेरी सबसे बड़ी गलती की
मैं औरत हूं,मेरे अंदर हैं कितनी
आजादियां,इन आजादियों में भी,
कैद हूं मैं हां औरत हूं मैं,
सफ़र जारी हैं मेरी जिंदगी का
आने को मुकाम बाकी हैं अभी, से
करती रही कर्म और कर्तव्य धर्म
का निर्वाह पर अभी भी काम
बहुत बाकी हैं हां औरत हूं मैं,
45 पार करने वाली हूं,तो क्या हुआ,
अभी तो कर्तव्य बाकी हैं मां का
पत्नी का बेटी का बहू का अभी
धर्म बाकी हैं,तुझे खुद के लिए
सोच ने का वक्त कहां हैं तू दूसरों
की मुस्कान में मुस्का यहीं तो
औरत के मुक्कदर में ईश्वर ने
लिखा यही औरत का धर्म हैं,
हां मैं औरत हूं,क्या किसी ने
सोचा बहन ,बेटी, मां,भाभी, सास
के बाद भी मेरा कोई आस्तित्व या
पहचान हैं खुद के जीवन हैं,नहीं क्योंकि
मैं एक औरत हूं,