मन ही मन
क्या क्या सोचा ,क्या क्या जाना
एक सिहर , पीर का है ये मन
जब ज़ख्म लगे तब तब रोए
निश्छल , व्याकुल , भंवराए मन
ये...
एक सिहर , पीर का है ये मन
जब ज़ख्म लगे तब तब रोए
निश्छल , व्याकुल , भंवराए मन
ये...