...

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लड़कियों के लिए एक संदेश
इशारे पे अपने आंचल को कभी रखना मत ।
हंसना खूब लड़कियों पर किसी को हंसाना मत।
कोई टिप्पणी करेगा तुम पर अपने उपहास की हजार ।
समझ के ओस झाड़ देना ।
प्रेम बनना मीरा से राग का , किंतु निर्यभ्या के संग हुए अत्याचार को भूलना मत ।
इशारे ,,,
झटके से झटक दे दुप्पटा कोई मनचला

देकर सलाह समझा देना ।
ना समझ की गलती को बता देना ।
किंतु जब सीमित दायरा , छोड़ने लगे ,उठाकर
हाथ दो चार लगा देना ।
आदेश बनना राम का , रावण सी जिद्द बनना मत ।
इशारे,

समझाए यदि कोई अपना ,तो प्रसाद मान जलपान करना जरूर ।
व्यवहार व्यवस्थित हो ऐसी कोई आवश्कता नहीं।
किंतु जीवंत भावनाए बनाए रखना ।
सुरभित हो किसी का जीवन वो , महक बनना जरूर ।
जिस पर अनेको भंवरे मडराय,वो फूल बनना मत।
इशारे पे ,,,
हो तुम अपने प्रिय की दामिनी ।
विचलित राह करना मत ।
अनेकों विडंबना छट जाएंगी ।
भास्कर की पहली किरण से ।
अंधेरे में निराश होना मत ।
इशारे ,,,
पाश्चात्य संस्कृति को क्यू पहचान बनाती हो अपनी ।
विधान के दौर में डूब ,आधे कपड़े नहीं परंपरा तुम्हारी ।
अपनी स्वंत्रता है कुछ भी करने कि ।
किंतु इस तरह अपनी स्वाधीनता का हनन करना मत ।
इशारे पे ,,,,


© Sarthak writings