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स्वीकरण
#स्वीकरण
अगर -मगर कुछ तो कहा होगा?
उसने स्वीकार कुछ तो किया होगा?
ऐसे ही कहा जुड़ते है रिश्ते,रिश्तों को जोड़ने के लिए,
एक दूसरे को यथावत स्वीकार करना होता है।

रिश्ता नया हो,पुराना हो , सगा या पराया हो और या फिर किसी खास का हो,
सुविकारण जरूरी है।
अच्छाई तो सब सुविकारते है,पर कमज़ोरी को स्वीकारना जरूरी है।

सबका एक ही जीवन है,ये समझना भी जरूरी है,
इसलिए सुख दुख को भी हंसते हंसते स्वीकारना है

सब कुछ स्वीकारना इतना आसान भी नहीं है ,लेकिन जिंदगी दिलच्सब हो सकती है अगर कोशिश को स्वीकारन दे।

© &wati&harma