...

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कोरोना
घनघोर घटा छायी नभ में विनाश आरंभ हुआ जग में।
आयी ऐसी विकट प्रलय घन घोर घटा सब तुझमें लय है!!
ऐसा विकट हाहाकार मचा धरती पर घनघोर प्रलाप मचा।
हर तरफ विकट कुंदन कैसा मानो धरती फिर हुई कुरुक्षेत्र ।
मनुज मनुज का बना दनुज चाहे अग्रज हो या अनुज॥
तात, मात, दादी, नानी हो या पत्नी सबने एक दूजे से कर ली दूरी !!१!!

कैसे छाई बदहाली फैली देखो विकट महामारी ॥
नाम करोना जग का रोना देख हुआ मन बड़ा अधीर,
कैसा धरती पर फैला तिमिर अंधकार लगे दिन भी आज रात ॥
मन हो उठा कैसा विचलित एक दूजे से दूर रहो जग प्रचलित।
करोना ने ऐसा हुंकार भरा बिकल हो गई धरा॥
जो जहां पड़ा था वहीं पड़ा कोई घर में कोई फुटपाथों
पर ।
मखमल का आशिक भी देखो आज जमीन पड़ा !!२!!

हो उठा कोई विकल भूख से कोई प्यासो से मरा जा
रहा।
धरा का सब धरा पर ही घरा फिर पड़ा मानो अकाल,
ताम्रचूड़ घर में ही है सब छाग भी देखो पास बंधे,
खा ना सका फिर भी कोई समय की ऐसी फेरी आयी।
मांसाहार सब बन्द हुआ शाकाहार का हुआ प्रचार।।
बिना जेल सब घर में कैद ऐसा आया कठिन समय।।
घनघोर घटा सब तुझमें लय ऐसी आयी विकट प्रलय !!३!!
© ranvee_singh