कविता
माना की जिंदगी कुछ ख़ास नहीं
मगर इतनी भी बर्बाद नहीं
कुछ खोटे सिक्के निकले हैं किस्मत के
पर पूरी किस्मत बेकार नहीं
भीग चुका हूँ बेमौसम बरसातों में
अब सावन का इंतजार...
मगर इतनी भी बर्बाद नहीं
कुछ खोटे सिक्के निकले हैं किस्मत के
पर पूरी किस्मत बेकार नहीं
भीग चुका हूँ बेमौसम बरसातों में
अब सावन का इंतजार...