...

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**अपने दिल के संग्रहालय का दौरा**
मैंने अपने दिल के संग्रहालय का किया दौरा
किस्से थे प्यारे ,आबाद था दिल का हर कोना

मोहब्बत के काग़ज़ पे, लिखी थी जो गज़लें,
उनके हर मिसरे में, तेरा नाम ही तो  उभारा।

कुछ तस्वीरें थीं वहां, हंसी की मुस्कान वाली,
उन लम्हों की ख़ुशबू,अभी भी बिलकुल ताजा।

टूटे वादों की दराज़ें, खोली मैंने धीरे से सारी
हर कतरन में छिपा था, हर दर्द का इशारा।

चंद लम्हे खुशियों के, संभाले थे संभाल कर,
उनकी चमक थी , अब भी जीने का सहारा।

दिल के इस म्यूज़ियम में, तेरी ही तो कहानी है,
हर इक हॉल में गूंजा, तेरी आवाज़ का तराना।

यादों की इस भीड़ में, मैं खुद को फिर से पाया,
तेरे बिन भी, तेरा साथ था, अद्भुत साथ हमारा।

© ऋत्विजा