...

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हर दिन इक नई ख़बर आतीं हैं
हर दिन इक नई ख़बर आतीं हैं
कोई नन्हीं बच्ची सड़क पर लावारिस नज़र आती है
क्या कहना उन दिलों का जिनमें जज़्बात नहीं
मैं जानता नहीं इनके दिल में ये ख्वाहिश कैसे उतर आतीं हैं
जो समझ बैठें इनको बोझ
मुझे इनकी आंखों में धूल नज़र आतीं हैं
देखो मुकाम और पढ़ो वजूद की कहानियां इनकी
ये नारी हर बंदिशों को तोड़कर हर रूतबे पर नज़र आतीं हैं
लेकिन वक्त अभी भी बदला नहीं
हर दिन इक नई खबर आतीं हैं
कोई नन्हीं बच्ची सड़क पर लावारिस नज़र आतीं हैं

मार देते हो कोख में उसको
तुम फ़िर अच्छा फल पाने की हसरत रखतें हो
पूजने जातें...