आराम के साथ...
यूँ ही तन्हाई में रहता हूँ बड़े इत्मिनान के साथ
घर के साजो सजावट औऱ सामान के साथ..
फ़िर दिन गुजरता है, दफ़्तर के मसरूफियत में
चापलूसी भी जरूरी है, थोड़ा काम के साथ..
सुबह खिलती है गोया फ़ूल खिला हो दिलकश
शाम ढलती है छलकते हुए कुछ ज़ाम के साथ..
गुजर रही है अपनी तो, यूँ ही मजे और मौज में
सुकून है दिल को और जिंदगी आराम के साथ..
© Rajnish Ranjan
घर के साजो सजावट औऱ सामान के साथ..
फ़िर दिन गुजरता है, दफ़्तर के मसरूफियत में
चापलूसी भी जरूरी है, थोड़ा काम के साथ..
सुबह खिलती है गोया फ़ूल खिला हो दिलकश
शाम ढलती है छलकते हुए कुछ ज़ाम के साथ..
गुजर रही है अपनी तो, यूँ ही मजे और मौज में
सुकून है दिल को और जिंदगी आराम के साथ..
© Rajnish Ranjan
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