नारी महिमा - मैं स्त्री हूं।
सृष्टि कल्याण को कालकूट पिया था शिव ने,
मैं भी जन्म से मृत्यु तक कालकूट ही पीती हूं,
मैं स्त्री हूं।
(कालकूट - विष)
मचा था चारों ओर घोर त्राहिमाम जब,कोई ना था बचाने को,
तब तुम्हें बचाने वाली दुर्गा - महाकाली हूं,
मैं स्त्री हूं।
मैं जटाधीश की जटाओं से बहने वाली हूं,
मैं सगर के पुत्रों को मुक्त कराने वाली हूं,मैं गंगा हूं,
मैं स्त्री हूं।
है राम अगर मर्यादा पुरषो्तम तो,
मैं भी तो मर्यादा की देवी हूं,मैं सीता हूं,
मैं स्त्री हूं।
मैं सदा अपना पतिव्रत धर्म बचाने वाली हूं,
मैं तप से त्रिदेवो को भी शिशु बनाने वाली हूं, मैं अनुसुइया हूं,
मैं स्त्री हूं।
मैं राम कृष्ण को जनने वाली हूं,...
मैं भी जन्म से मृत्यु तक कालकूट ही पीती हूं,
मैं स्त्री हूं।
(कालकूट - विष)
मचा था चारों ओर घोर त्राहिमाम जब,कोई ना था बचाने को,
तब तुम्हें बचाने वाली दुर्गा - महाकाली हूं,
मैं स्त्री हूं।
मैं जटाधीश की जटाओं से बहने वाली हूं,
मैं सगर के पुत्रों को मुक्त कराने वाली हूं,मैं गंगा हूं,
मैं स्त्री हूं।
है राम अगर मर्यादा पुरषो्तम तो,
मैं भी तो मर्यादा की देवी हूं,मैं सीता हूं,
मैं स्त्री हूं।
मैं सदा अपना पतिव्रत धर्म बचाने वाली हूं,
मैं तप से त्रिदेवो को भी शिशु बनाने वाली हूं, मैं अनुसुइया हूं,
मैं स्त्री हूं।
मैं राम कृष्ण को जनने वाली हूं,...