...

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उस दिन
माँ उन दिनों घर नहीं थी
और उन दिनों
मेरा स्कूल हुआ करता था
बालों से बने दो चोटिया
उन बालों को संभाले
अच्छे से गूथकर स्कूल जाना था
पर मुझे तब बालों को सवारे
चोटि बनाना कहा आता था
हर बाप के बेटी के ख्यालों की तरह
मेरे बाबा भी मेरे सुपर हीरो ही है
बालों को वो भी सवार ही लेंगे
यही सोचकर
बालों को सवारने की बात की मैंने
तो मानों बाबा के आँखों में
डर तैर गया
पर उस दिन
मुस्कुराकर स्कूल गयी थी
और उसी बिगड़े बालों को संभाले
मेरे दोस्तों को उस दिन
बड़े नाज़ से बोली थी
ये चोटी मेरे बाबा ने
अपने हाथों से बनाई है
बाबा मेरे सुपर हीरो है
ऐसा कुछ है ही नहीं
जो उन्हें न आता हो
और उसीके साथ
उस दिन एहसास हुआ
सुपर हीरो है तो सही
पर इंसान वो भी है
हर किसी को हर कुछ आए
ऐसा मुमकिन तो है नहीं
उस दिन एहसास हुआ
हमारे बाबा माँ
हमारे ही तरह है
गलतियां उनसे भी
हो सकती है
और उन्हें कुछ न पता हो
ऐसा भी हो ही सकता है

© KALAMKIDIWANI