गलत सही
शराब, कभी नापाक है,
कभी ईश का प्रसाद है,
ये गलत सही का चक्कर,
बहुत ही खराब है,
कभी समय देख पलटता है,
कभी जमाने को टटोलता है,
तेरा गलत मेरा सही,
मेरा गलत तेरे सही को कोसता है,
सवालों को दरकिनार कर के,
जवाबों को कुचलता जाता है,
ना नाम मिले, ना राम मिलें,
पर फिर भी जिद करता है।
© Anamika Tripathi